WhatsApp से आया Message: डरावनी कहानी
WhatsApp से आया Message: दोस्त की आखिरी पुकार
शुरुआत
अर्जुन का फोन रात के बारह बजे बजने लगा। नींद में डूबे हुए अर्जुन ने आंखें खोलीं तो स्क्रीन पर देखा - एक व्हाट्सऐप मैसेज। भेजने वाले का नाम देखकर उसकी सांसे अटक गई। "राहुल भाई" - वही राहुल जो तीन महीने पहले कार एक्सीडेंट में मर गया था।
मैसेज था सिर्फ एक लाइन का: "यार, मैं तुझसे बात करना चाहता हूं।"
अर्जुन ने फोन को दो बार झिझका, आंखें मली, लेकिन मैसेज अभी भी वहीं था। उसके हाथ कांप रहे थे। राहुल का नंबर तो उसने महीनों पहले ही डिलीट कर दिया था। फिर यह कैसे...?
पहली रात का डर
अर्जुन ने तुरंत राहुल के भाई रोहित को फोन किया। रोहित की आवाज नींद भरी थी।
"यार रोहित, राहुल भाई का फोन अभी भी चालू है क्या?" अर्जुन की आवाज में घबराहट साफ़ झलक रही थी।
"पागल है क्या? राहुल का फोन तो उसी दिन टूट गया था एक्सीडेंट में। सिम भी कैंसल करवा दि थी मैंने। क्यों क्या हुआ?"
अर्जुन ने झूठ बोला, "कुछ नहीं यार, बस यूं ही पूछ रहा था।"
फ़ोन काटने के बाद, अर्जुन ने दोबारा मैसेज चेक किया। अब उसे 'Last seen today at 12:00 AM' दिखाई दिया।
अर्जुन की पीठ में ठंडक दौड़ गई। अगर राहुल मर चुका था, तो फिर यह 'last seen' कहाँ से आया?
दूसरी रात - रहस्य गहराता है
अगली रात फिर ठीक बारह बजे मैसेज आया: "तू मुझे क्यों भूल गया यार?"
इस बार अर्जुन ने हिम्मत जुटाकर रिप्लाई भेजा: "तू कौन है? राहुल तो मर गया है।"
तुरंत आया जवाब: "हां यार, मैं मर गया हूं। लेकिन तुझसे कुछ जरूरी बात करनी है।"
अर्जुन के हाथों से फोन गिर गया। वह बिस्तर पर बैठकर सिर पकड़कर रोने लगा। राहुल उसका सबसे अच्छा दोस्त था। बचपन से साथ बड़े हुए थे। कॉलेज में भी साथ ही थे। राहुल की मौत के बाद से अर्जुन बहुत परेशान रहता था।
तीसरी रात - सच्चाई का एहसास
तीसरी रात का मैसेज था: "यार, मुझे लगता है तूने मुझे धोखा दिया है।"
अर्जुन का दिल जोर से धड़कने लगा। "मतलब? मैंने तुझे कैसे धोखा दिया?"
"उस रात तू मेरे साथ पार्टी में आने वाला था। लेकिन तू नहीं आया। अगर तू आता तो मैं अकेला नहीं जाता। अकेला नहीं जाता तो शराब भी नहीं पीता। और एक्सीडेंट भी नहीं होता।"
अर्जुन को वह रात याद आ गई। राहुल ने उसे कॉलेज की फेयरवेल पार्टी में बुलाया था। लेकिन अर्जुन का अपनी प्रेमिका प्रिया से झगड़ा हो गया था। वह प्रिया को मनाने में व्यस्त था इसलिए पार्टी में नहीं गया।
उसी रात राहुल नशे की हालत में कार चला रहा था और ट्रक से टक्कर हो गई।
चौथी रात - अपराधबोध का बोझ
"तू ही जिम्मेदार है मेरी मौत का," चौथी रात का मैसेज था।
अर्जुन पहले से ही अपराधबोध से परेशान था। वह जानता था कि राहुल को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए था। मगर प्रिया के साथ की गई छोटी सी लड़ाई उसे राहुल से भी ज्यादा जरूरी लगी थी।
"हां यार, मैं जानता हूं। मैं बहुत गलत था। माफ़ कर दे मुझे," अर्जुन ने टाइप किया।
"माफ़ी से मैं वापस जिंदा तो नहीं हो जाऊंगा न।"
पांचवी रात - डर की हद
पांचवीं रात मैसेज में एक तस्वीर थी। एक्सीडेंट के वक्त का फोटो जिसमें राहुल खून से लथपथ कार में फंसा हुआ था। अर्जुन ने फोन फेंक दिया और कमरे के कोने में दुबक गया।
"तू भी मेरे साथ आ जा। अकेलापन लगता है यहां," अगला मैसेज था।
अर्जुन रोता रहा पूरी रात।
छठी रात - असली सच का पता
छठी रात अर्जुन ने हिम्मत जुटाकर राहुल के पिता जी को फोन किया और सारी बात बताई। राहुल के पापा ने कहा, "बेटा, तू परेशान मत हो। कल हम दोनों साइबर कैफे चलते हैं। वहां एक्सपर्ट से पूछते हैं।"
साइबर कैफे में टेक्निकल एक्सपर्ट ने अर्जुन का फोन चेक किया। थोड़ी देर बाद उसने बताया, "यह मैसेज किसी स्पूफिंग ऐप से भेजे जा रहे हैं। कोई व्यक्ति राहुल का नाम और फोटो इस्तेमाल करके फेक मैसेज भेज रहा है।"
"लेकिन कौन?" अर्जुन ने पूछा।
"इसका पता लगाने के लिए हमें पुलिस की मदद लेनी होगी।"
सातवीं रात - गुनहगार का पर्दाफाश
पुलिस ने तकनीकी टीम के साथ मिलकर मैसेजेस को ट्रेस किया। पता चला कि यह सब राहुल का कॉलेज का दोस्त समीर कर रहा था। समीर को राहुल से जलन थी क्योंकि राहुल हमेशा क्लास में फर्स्ट आता था और समीर सेकंड।
समीर को लगता था कि अगर राहुल न होता तो वह टॉपर होता। राहुल की मौत के बाद समीर ने सोचा था कि अब वह खुश होगा, लेकिन उसे फर्क नहीं पड़ा क्योंकि कॉलेज में और भी होशियार बच्चे थे।
समीर का दिमाग खराब हो गया था। वह सोचता था कि राहुल की मौत के लिए कोई न कोई जिम्मेदार है। उसने अर्जुन को टारगेट बनाया क्योंकि वह जानता था कि अर्जुन पहले से ही अपराधबोध में जी रहा है।
आठवीं रात - सच्चाई सामने आने के बाद
समीर को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके फोन से राहुल की सारी फोटोज़ और स्पूफिंग ऐप मिल गया। समीर ने अपना गुनाह कबूल किया।
लेकिन अर्जुन के दिल का बोझ अभी भी खत्म नहीं हुआ था। वह जानता था कि भले ही मैसेजेस फर्जी थे, लेकिन बात सच थी। वह वाकई राहुल को अकेला छोड़कर गया था।
नौवीं रात - असली संदेश
नौवीं रात अर्जुन ने राहुल की कब्र पर जाकर माफी मांगी। वहां राहुल की मां भी आई। उन्होंने अर्जुन से कहा, "बेटा, राहुल हमेशा तुझे अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता था। वह कभी नहीं चाहता कि तू अपराधबोध में जिए। जो हुआ सो हुआ, अब आगे बढ़।"
उस रात अर्जुन के फोन पर कोई मैसेज नहीं आया।
दसवीं रात - नई शुरुआत
दसवीं रात अर्जुन ने राहुल की तस्वीर देखकर कहा, "यार, मैं जानता हूं तू अब कहीं नहीं है। लेकिन मैं तुझे हमेशा याद रखूंगा। अब मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ूंगा और तेरी यादों को खुशी के साथ संजोकर रखूंगा।"
उसने अपने फोन में राहुल के साथ की गई सभी अच्छी यादों के वीडियो बनाए और उन्हें अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया। उसने लिखा, "सच्चे दोस्त कभी मरते नहीं, वे हमारी यादों में हमेशा जिंदा रहते हैं।"
समापन
अर्जुन ने सीखा कि मृतकों से डरने की जरूरत नहीं है। असली डर तो जिंदा लोगों के दिल में छुपी बुराई से होना चाहिए। समीर जैसे लोग जो दूसरों के दुख का फायदा उठाते हैं, वे ही असली भूत होते हैं।
राहुल की यादें अब अर्जुन के दिल में प्यार के रूप में बसी हैं, डर के रूप में नहीं। वह हर दिन राहुल की मां से मिलता है और उनका ख्याल रखता है। यही तो असली दोस्ती है - मौत के बाद भी प्यार जिंदा रहे।
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