अनजाने रिश्ते का प्यार - Arranged Marriage Love Story

 अनजाने रिश्ते का प्यार - Arranged Marriage Love Story 

Ek Indian arranged marriage love story ka thumbnail, jismein traditional couple romantic pose mein hain."

अध्याय 1: पहली मुलाकात

मीरा ने घबराहट में अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया। आज वह एक ऐसे शख्स से शादी करने जा रही थी, जिससे वह सिर्फ एक बार फोन पर बात कर चुकी थी। उस लड़के के बारे में उसे केवल इतना ही पता था: नाम अर्जुन शर्मा, उम्र 28, और पेशा सॉफ्टवेयर इंजीनियर।

"बेटा, घबराने की कोई बात नहीं," मम्मी ने कहा, "अर्जुन बहुत अच्छा लड़का है। उसके पापा हमारे पुराने दोस्त हैं।"

ड्राइंग रूम में बैठे अर्जुन भी कम नर्वस नहीं थे। वह बार-बार अपनी कमीज़ के बटन चेक कर रहा था। मीरा जब अंदर आई तो उसकी नज़र उसके चेहरे पर पड़ी - सादा सा चेहरा, बड़ी-बड़ी आंखें, और हल्की सी मुस्कान। कुछ खास नहीं, लेकिन शांति थी उसमें।

"हैलो," मीरा ने धीरे से कहा।

"हाय," अर्जुन ने जवाब दिया, फिर अजीब सा silence छा गया।

माता-पिता ने बातचीत की, लड़का-लड़की अच्छे लगे, और एक महीने बाद शादी तय हो गई।

अध्याय 2: शादी का दिन
शादी का दिन आ गया था। रंग-बिरंगी रोशनी, ढोल-नगाड़े, और रिश्तेदारों की भीड़। मीरा लाल जोड़े में बैठी थी, गहरे सोच में खोई हुई। 

क्या यह सही है? क्या मैं एक अजनबी से शादी कर रही हूं?

अर्जुन भी कम परेशान नहीं था। उसके दिमाग में वही सवाल घूम रहे थे। लेकिन जब उन्होंने सात फेरे लिए, तो दोनों को लगा जैसे कोई नई जिंदगी शुरू हो रही है।

पंडित जी ने घोषणा की, "आज से आप दोनों पति-पत्नी हैं

मीरा और अर्जुन ने एक-दूसरे की तरफ देखा। अजनबी थे, लेकिन अब साथ जिंदगी बितानी थी।

अध्याय 3: नई शुरुआत

शादी के बाद मीरा अर्जुन के घर आ गई थी। यह घर उसके लिए बिल्कुल अजनबी था। सास-ससुर अच्छे थे, लेकिन सब कुछ नया लग रहा था।

पहली रात, दोनों अपने कमरे में खामोशी से बैठे थे।

"तुम्हें कॉफी पसंद है या चाय?" अर्जुन ने बातचीत शुरू करने की कोशिश की।

"कॉफी," मीरा ने जवाब दिया।

"मुझे भी। तुम कितनी शुगर लेती हो?"

"दो चम्मच।"

"मैं भी।"

यह छोटी सी बात थी, लेकिन पहली बार लगा था कि कुछ common है उनमें।

अध्याय 4: धीरे-धीरे

हफ्ते बीतते गए। मीरा और अर्जुन धीरे-धीरे एक-दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे थे। अर्जुन सुबह ऑफिस जाता और शाम को वापस आता। मीरा घर संभालती और अपनी नई नौकरी की तैयारी करती।

एक दिन अर्जुन ने देखा कि मीरा बालकनी में खड़ी होकर कुछ पढ़ रही है।

"क्या पढ़ रही हो?" उसने पूछा।

"Teaching की तैयारी कर रही हूं। मुझे बच्चों को पढ़ाना पसंद है।"

"वाह! मुझे पता ही नहीं था। कौन से subject में?"

"अंग्रेजी साहित्य।"

अर्जुन की आंखें चमक गईं, "मुझे भी किताबें पढ़ना पसंद है। कभी-कभार कविता भी लिखता हूं।"

यह पहली बार था जब वे अपने interests के बारे में बात कर रहे थे।

अध्याय 5: समझ

महीने बीत गए। अब मीरा और अर्जुन में थोड़ी सी दोस्ती हो गई थी। वे शाम को साथ बैठकर चाय पीते और दिन भर की बातें करते।

एक दिन मीरा बीमार पड़ गई। बुखार था तेज़। अर्जुन ने ऑफिस से छुट्टी ली और उसकी देखभाल की। दवाई लाई, खाना बनाया, और रात भर उसके पास बैठा रहा।

"तुम्हें ऑफिस जाना चाहिए था," मीरा ने कमज़ोर आवाज़ में कहा।

"कोई बात नहीं। तुम ज्यादा जरूरी हो," अर्जुन ने जवाब दिया।

इस बात ने मीरा के दिल को छू लिया था। पहली बार लगा था कि वह सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं है उसके लिए।

अध्याय 6: दोस्ती से कुछ ज्यादा

छह महीने बाद, दोनों के बीच एक अच्छी friendship develop हो गई थी। वे एक-दूसरे के jokes समझते, preferences जानते, और comfort feel करते एक-दूसरे के साथ।

शाम के समय वे छत पर थे, जहाँ वे साथ बैठकर तारे देख रहे थे।

"कभी-कभी लगता है जैसे हम अच्छे दोस्त हैं," मीरा ने कहा।

"हां, शुरुआत में डर था कि कैसे होगा। लेकिन अब अच्छा लग रहा है," अर्जुन ने जवाब दिया।

"अर्जुन, एक बात कहूं?"

"हां।"

"तुम बहुत अच्छे हो। मैं lucky हूं।"

अर्जुन मुस्कराया, "मैं भी।"

उस रात कुछ बदल गया था। Friendship में थोड़ा सा प्यार मिल गया था।

अध्याय 7: एहसास

नौ महीने बाद, मीरा को अपनी teaching job मिल गई थी। अर्जुन उसके लिए बहुत खुश था। उसने उसके लिए एक छोटी सी party organize की थी घर में।

"Congratulations, Mrs. Sharma," अर्जुन ने कहा, एक गुलाब का फूल देते हुए।

"धन्यवाद," कहते हुए मीरा ने फूल लिया। जैसे ही उसके हाथ अर्जुन के हाथों से छुए, दोनों ने एक अजीब सी भावना महसूस की।

 उसी रात मीरा ने महसूस किया कि अर्जुन उसके लिए सिर्फ एक अच्छा दोस्त नहीं था, बल्कि कुछ और भी था—एक गहरा अपनापन, लगाव, और शायद प्यार।

अर्जुन भी same cheez feel कर रहा था। वह मीरा के बिना अधूरा लगता था खुद को।

अध्याय 8: पहला "I Love You"

एक साल बाद, जब उनकी शादी की पहली सालगिरह आई, तो अर्जुन ने मीरा को सरप्राइज़ दिया। वह उसे उसकी पसंदीदा जगह, मरीन ड्राइव, ले गया।

वहां उन्होंने साथ में walk की। हंसे, बातें कीं, और memories share कीं।

"मीरा, एक साल पहले मुझे नहीं पता था कि तुम कैसी हो। लेकिन अब..."

"अब?"

"अब लगता है जैसे तुम हमेशा से मेरी जिंदगी का हिस्सा रही हो।"

मीरा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।

"मैं तुमसे प्यार करता हूं, मीरा। True love।"

मीरा की आंखों में आंसू आ गए। खुशी के आंसू।

"मैं भी तुमसे प्यार करती हूं, अर्जुन। कब हो गया पता ही नहीं चला।"

उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया। यह arranged marriage अब एक love marriage बन गई थी।

अध्याय 9: खुशियों का दौर

इसके बाद उनकी जिंदगी में एक नया रंग आ गया था। अब वे सिर्फ partners नहीं थे, बल्कि सच्चे प्रेमी भी थे।

वे साथ में movies देखते, weekend trips पर जाते, एक-दूसरे के dreams को support करते। मीरा अपने school में बच्चों को पढ़ाती और अर्जुन अपने project में busy रहता, मगर शाम होते ही, वे एक-दूसरे के लिए पूरा समय निकालते थे।"

अर्जुन ने मीरा के लिए कविता लिखना शुरू किया था, और मीरा उसके लिए उसकी पसंद का खाना बनाती।

सास-ससुर भी खुश थे, ये देखकर कि उनका बेटा और बहू कितने खुश हैं।

अध्याय 10: सपनों का घर

दो साल बाद, मीरा pregnant हुई। यह खबर सुनकर अर्जुन की खुशी का ठिकाना नहीं था।

"हमारा अपना छोटा सा परिवार होगा," उसने मीरा को गले लगाते हुए कहा।

"हां, और हमारा बच्चा देखेगा कि arranged marriage भी कितनी beautiful हो सकती है," मीरा ने हंसते हुए कहा।

वे एक नए घर में shift हो गए थे - अपना अलग घर। यहां उन्होंने baby room तैयार किया, बच्चों के cute cartoons और रंग-बिरंगे posters लगाए, और आने वाली नई जिंदगी के लिए तैयारी की।

पांच साल बाद: प्यार की जीत

आज मीरा और अर्जुन की शादी को पाँच साल हो चुके हैं। अब उनके दो प्यारे बच्चे हैं—एक बेटा और एक बेटी। जब भी कोई उनसे पूछता है कि उनकी लव मैरिज हुई थी या अरेंज, तो वे मुस्कुरा कर जवाब देते हैं:

"शुरुआत arranged से हुई थी, लेकिन प्यार तो बाद में हुआ। और जो प्यार धीरे-धीरे, समझ-बूझकर होता है, वह सबसे मजबूत होता है।"

मीरा अब एक successful teacher है और अर्जुन एक senior software architect। दोनों ने अपने dreams achieve किए, और साथ में एक beautiful family बनाई।

कभी-कभी शाम को, वे साथ बैठकर अपनी शादी की तस्वीरें देखते और उन तस्वीरों पर मुस्कुराते जिनमें उनकी घबराहट और असहजता साफ़ झलक रही थी।

"देखो कितने डरे हुए लग रहे हैं हम," मीरा कहती है।

"हां, लेकिन किस्मत को शायद पता था कि हम एकदम सही जोड़ी हैं," अर्जुन जवाब देता है।

आज भी वे हर शाम साथ बैठकर चाय पीते हैं, बातें करते हैं, और एक-दूसरे को 'I love you' कहते हैं - लेकिन अब यह सिर्फ words नहीं हैं, बल्कि सालों की understanding, care, और true partnership का नतीजा है।

यह कहानी सिखाती है कि प्यार हमेशा पहली नज़र में नहीं होता। कभी-कभी यह धीरे-धीरे, समय के साथ, समझ और respect के जरिए होता है। और जब ऐसा प्यार होता है, तो वह सबसे मजबूत और सच्चा होता है।
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कहानी का संदेश: 
अरेंज मैरिज एक शुरुआत हो सकती है, लेकिन सच्चा प्यार तो आपसी समझ, सम्मान, और समय के साथ ही आता है। मीरा और अर्जुन की तरह, कई जोड़ों को पता चलता है कि परिवार द्वारा चुना गया जीवनसाथी वाकई में उनके लिए सही है - बस थोड़ा समय और धैर्य चाहिए।

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