Zomato Delivery Boy की डरावनी कहानी – Flat 13B का रहस्य | Real Horror Story in Hindi

Zomato Delivery Boy की डरावनी कहानी – Flat 13B का रहस्य | Real Horror Story in Hindi


Zomato Delivery Boy Horror Story in Hindi – Flat 13B Real Ghost Story Image

दिल्ली की एक ठंडी रात, एक Zomato Delivery Boy और एक रहस्यमयी पता — Flat 13B।
एक ऐसा ऑर्डर जिसने उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी।
कहते हैं, Shyama Prasad Tower में जो भी डिलीवरी बॉय उस 13B Flat में गया, वो कभी वापस नहीं लौटा।
क्या ये सिर्फ़ एक अफवाह थी या सच में उस फ्लैट में कुछ अलौकिक था?
जानिए इस Zomato Delivery Boy की सच्ची डरावनी कहानी (Real Horror Story in Hindi) में —
जहाँ भूख, आत्मा और प्यार से बने खाने के बीच छिपा है एक ऐसा रहस्य, जो आपकी रूह तक हिला देगा।

कहानी की शुरुआत 

रात के नौ बजे का ऑर्डर जिसने सबकुछ बदल दिया

राहुल का फोन बजा। ज़ोमैटो ऐप पर नया ऑर्डर आया था। उसने स्क्रीन देखी - एक बिरयानी का ऑर्डर। पैसे अच्छे थे, डेढ़ सौ रुपये डिलीवरी चार्ज। पर जैसे ही उसने पता देखा, उसके हाथ रुक गए।

"श्यामा प्रसाद टॉवर, फ्लैट 13B"

राहुल की सांस अटक गई। वही फ्लैट जिसके बारे में सभी डिलीवरी बॉयज़ बात करते थे। वही पता जहां पिछले महीने तीन डिलीवरी बॉयज़ ऑर्डर लेकर गए थे और वापस नहीं लौटे।

उसने ऑर्डर रिजेक्ट करने की सोची। लेकिन महीने का आखिरी हफ्ता था। किराया देना था, मां की दवाई लानी थी। पैसों की सख्त जरूरत थी।

राहुल ने ऑर्डर एक्सेप्ट कर लिया।

डिलीवरी पार्टनर्स की वो चेतावनी

रेस्टोरेंट पहुंचकर राहुल ने ऑर्डर उठाया। बाहर निकलते समय उसे रमेश मिला। रमेश तीन साल से ज़ोमैटो पर काम कर रहा था। उसने राहुल के हाथ में पैकेट देखा और फिर उसकी स्क्रीन पर नजर डाली।

"तू 13B का ऑर्डर लेकर जा रहा है?" रमेश की आवाज में डर था।

राहुल ने सिर हिलाया।

"पागल है क्या? अरे उस फ्लैट का ऑर्डर कोई नहीं लेता। पिछले महीने संदीप गया था वहां। उसके बाद से उसका फोन बंद है। उससे पहले विक्रम और अमित। तीनों गायब हैं।"

राहुल को लगा रमेश मजाक कर रहा है। "अरे भाई, कोई भूत-वूत नहीं होता। बस एक डिलीवरी है।"

रमेश ने उसका हाथ पकड़ा। "देख, मैं मजाक नहीं कर रहा। मैं खुद एक बार वहां गया था। पहली मंजिल तक। लेकिन जैसे ही 13B के दरवाजे के पास पहुंचा, मुझे कुछ अजीब महसूस हुआ। जैसे कोई मुझे अंदर खींच रहा हो। मैं भाग आया। ऑर्डर कैंसल कर दिया।"

"तो तूने डिलीवरी नहीं की?" राहुल ने पूछा।

"नहीं। और तू भी मत कर। ये पैसे तेरी जान से ज्यादा कीमती नहीं हैं।"

लेकिन राहुल को मां का बीमार चेहरा याद आया। दवाई की खाली बोतलें याद आईं। उसने रमेश का हाथ हटाया।

"मुझे जाना होगा भाई। तू फिक्र मत कर।"

श्यामा प्रसाद टॉवर - जहां रोशनी भी डरती थी

राहुल अपनी बाइक पर बैठा और श्यामा प्रसाद टॉवर की तरफ निकल गया। रास्ते भर वो खुद को समझाता रहा कि ये सब बकवास है। कोई भूत-प्रेत नहीं होता।

बीस मिनट बाद वो उस इमारत के सामने खड़ा था।

इमारत देखने में बिल्कुल आम थी। पुरानी जरूर थी, पर डरावनी नहीं। बारह मंजिला इमारत। ज्यादातर फ्लैट्स में रोशनी जल रही थी। लोग खिड़कियों में दिख रहे थे।

राहुल ने राहत की सांस ली। देखा, कुछ नहीं है।

वो बाइक पार्क करके बिल्डिंग के अंदर गया। लिफ्ट में एक बुजुर्ग शख्स खड़ा था।

"कौन सी मंजिल?" बुजुर्ग शख्स ने पूछा।

"तेरहवीं," राहुल ने कहा।

बुजुर्ग की आंखें फैल गईं। "तेरहवीं? लेकिन इस बिल्डिंग में सिर्फ बारह मंजिलें हैं।"

राहुल ने लिफ्ट के बटन देखे। सच में, वहां बारह का बटन आखिरी था। तेरहवीं मंजिल का कोई बटन नहीं था।

"लेकिन मेरे ऐप में तो 13B का पता दिखा रहा है," राहुल ने अपना फोन दिखाया।

बुजुर्ग ने फोन देखा और फिर उसकी तरफ देखा। उसकी आंखों में तरस था।

"बेटा, इस बिल्डिंग में कभी तेरहवीं मंजिल बनी ही नहीं। बिल्डर ने सोचा था कि तेरह नंबर अशुभ है। इसलिए बारहवीं के बाद सीधा चौदहवीं बनाई।"

"तो फिर 13B कहां है?" राहुल की आवाज कांप रही थी।

बुजुर्ग ने कुछ नहीं कहा। बस चुपचाप बारहवीं मंजिल पर उतर गया।

जब सीढ़ियों ने दिखाया छिपा हुआ रास्ता

राहुल परेशान हो गया। उसने कस्टमर को फोन करने की सोची लेकिन ऐप में कोई नंबर नहीं था। सिर्फ एक मैसेज था - "डिलीवरी दरवाजे पर छोड़ दें।"

उसने वॉचमैन से पूछने का सोचा लेकिन गेट पर कोई नहीं था।

तभी उसे सीढ़ियों की तरफ जाने का ख्याल आया। शायद वहां से कुछ पता चले।

वो बारहवीं मंजिल की सीढ़ियों पर पहुंचा। ऊपर की तरफ देखा तो अंधेरा था। लेकिन सीढ़ियां बनी हुई थीं। एक और मंजिल तक।

राहुल का दिल तेजी से धड़कने लगा। तो तेरहवीं मंजिल है। बस लिफ्ट से नहीं जा सकते।

उसने मोबाइल की टॉर्च ऑन की और सीढ़ियां चढ़ने लगा।

हर कदम के साथ हवा ठंडी होती जा रही थी। जैसे कोई एसी चल रहा हो। लेकिन यहां तो कुछ नहीं था।

आखिरकार वो तेरहवीं मंजिल पर पहुंच गया।

वहां सिर्फ एक ही दरवाजा था। उस पर लिखा था - "13B"

फ्लैट 13B का दरवाजा - जो अपने आप खुल गया

Flat 13B Horror Story in Hindi – डरावनी Zomato Delivery Real Horror Story Image.

राहुल दरवाजे के सामने खड़ा हो गया। दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि उसे धड़कन बाहर तक सुनाई दे रही थी।

उसने घंटी बजाई।

कोई आवाज नहीं आई।

फिर से बजाई।

फिर भी कुछ नहीं।

उसने दरवाजे को खटखटाया। "हैलो? Zomato Delivery!"

तभी दरवाजा अपने आप खुल गया। धीरे-धीरे। कोई आवाज किए बिना।

अंदर अंधेरा था। घुप्प अंधेरा। राहुल की टॉर्च की रोशनी भी अंदर जाकर गुम हो गई।

"हैलो? कोई है?" राहुल ने आवाज लगाई।

जवाब में एक आवाज आई। एक महिला की आवाज। बहुत दूर से आती हुई।

"अंदर आ जाओ। खाना अंदर टेबल पर रख दो।"

राहुल ने अंदर कदम रखा। जैसे ही वो अंदर गया, दरवाजा अपने आप बंद हो गया।

घबराकर उसने पीछे मुड़कर देखा। दरवाजा गायब था। उसकी जगह एक दीवार थी।

अंदर का नजारा - जो किसी बुरे सपने से कम नहीं था

राहुल की सांसें तेज हो गईं। उसने दीवार को धक्का दिया लेकिन कुछ नहीं हुआ। दरवाजा गायब था।

उसने चिल्लाना शुरू किया। "खोलो दरवाजा! मुझे बाहर निकलने दो!"

तभी एक रोशनी जली। धीमी पीली रोशनी। एक पुराना बल्ब।

राहुल ने आसपास देखा। वो एक छोटे से कमरे में था। कमरे में एक टेबल थी, दो कुर्सियां थीं, और एक अलमारी।

टेबल पर कुछ प्लेटें रखी थीं। सब खाली। लेकिन उन पर खून के धब्बे थे। सूखे हुए खून के धब्बे।

राहुल के हाथ से बिरयानी का पैकेट छूट गया।

तभी उस महिला की आवाज फिर आई।

"खाना रखो न। मैं बहुत भूखी हूं। कितने दिन हो गए कुछ खाए।"

राहुल ने चारों तरफ देखा। कोई नहीं था।

"तुम कहां हो?" उसने पूछा।

"यहीं हूं। तुम्हारे पीछे।"

राहुल तेजी से पीछे मुड़ा।

कोई नहीं था।

उसने फिर से आगे देखा तो उसके सामने एक औरत खड़ी थी। बिल्कुल सामने। इतनी पास कि उसकी सांसें राहुल के चेहरे पर लग रही थीं।

लेकिन वो औरत नहीं थी। वो कुछ और था।

उसका चेहरा सफेद था। बिल्कुल सफेद। आंखें काली। पूरी तरह काली। कोई पुतली नहीं, कुछ नहीं। बस अंधेरा।

और वो मुस्कुरा रही थी। एक अजीब सी मुस्कान जो उसके कानों पर फैल रही थी।

राहुल चीखना चाहता था लेकिन उसकी आवाज गले में अटक गई।

तीन और डिलीवरी बॉयज़ का राज

"तुम डर गए?" उस औरत ने पूछा। उसकी आवाज अजीब थी। जैसे कई आवाजें एक साथ बोल रही हों।

राहुल पीछे हटा लेकिन उसकी पीठ दीवार से लग गई।

औरत उसके पास आई। बहुत पास।

"तुम पहले नहीं हो," उसने कहा। "इससे पहले तीन और आए थे। वो भी डर गए थे। लेकिन फिर उन्होंने समझा। फिर वो यहीं रह गए।"

"क्या मतलब है तुम्हारा?" राहुल की आवाज कांप रही थी।

औरत ने अलमारी की तरफ इशारा किया।

राहुल ने देखा। अलमारी धीरे-धीरे खुल रही थी।

अंदर तीन लोग खड़े थे। तीनों के हाथ में ज़ोमैटो के बैग थे। तीनों की आंखें काली थीं। बिल्कुल उस औरत जैसी।

राहुल को समझ आ गया। ये वही थे। संदीप, विक्रम, और अमित। वो तीनों डिलीवरी बॉयज़ जो यहां आए थे और गायब हो गए थे।

लेकिन अब वो इंसान नहीं रहे थे।

"तुम भी यहीं रहोगे," औरत ने कहा। "हमेशा के लिए। तुम मेरे लिए खाना लाते रहोगे। रोज। हर रात।"

जब राहुल को मिला पुराना डायरी का पन्ना

राहुल ने हिम्मत जुटाई। उसे कुछ करना था। भागना था।

उसने जेब से मोबाइल निकाला। शायद कॉल कर सके। लेकिन कोई नेटवर्क नहीं था। सिग्नल बिल्कुल जीरो।

तभी उसकी नजर टेबल के नीचे कुछ कागजों पर गई। उसने झुककर एक पन्ना उठाया।

ये किसी डायरी का पन्ना था। हाथ से लिखा हुआ। लिखावट कांपती हुई थी।

राहुल ने पढ़ना शुरू किया:

"आज तारीख 15 मार्च 2019 है। मेरा नाम संदीप है। मैं यहां फंस गया हूं। इस फ्लैट में। ये औरत कोई इंसान नहीं है। ये 1995 में यहां रहती थी। इसका नाम मीरा था। इसका पति इसे खाना नहीं देता था। भूखा मारता था। एक दिन मीरा भूख से मर गई। लेकिन इसकी आत्मा यहीं फंस गई। अब ये खाना मांगती है। और जो यहां आता है, वो यहीं रह जाता है।"

"पन्ने के नीचे कुछ और लिखा था:"

"इससे बचने का एक ही तरीका है। इसे असली खाना देना होगा। वो खाना जो प्यार से बना हो। घर का खाना। तभी इसकी आत्मा को शांति मिलेगी।"

राहुल ने पन्ना नीचे रखा। उसे समझ आ गया।

घर का बना खाना - आखिरी उम्मीद

राहुल ने मीरा की तरफ देखा।

"तुम भूखी हो?" उसने पूछा।

मीरा ने सिर हिलाया। "हमेशा। मैं हमेशा से भूखी हूं।"

राहुल ने अपना बैग खोला। उसमें वो बिरयानी का पैकेट था जो वो लाया था। लेकिन वो काम नहीं आएगा। उसे घर का खाना चाहिए था।

तभी उसे याद आया। आज सुबह मां ने उसके लिए पराठे बनाए थे। उसने डिब्बे में पैक करके दिए थे। राहुल ने सोचा था रास्ते में खा लेगा।

वो डिब्बा अभी भी उसके बैग में था।

उसने डिब्बा निकाला और खोला। दो आलू के पराठे। मां ने प्यार से बनाए थे।

राहुल ने डिब्बा मीरा की तरफ बढ़ाया।

"ये लो। मेरी मां ने बनाया है। घर का खाना है।"

मीरा ने डिब्बे को देखा। उसकी काली आंखों में कुछ चमक आई।

उसने धीरे से डिब्बा लिया और एक पराठा उठाया। उसने एक निवाला खाया।

अचानक उसकी आंखें बदल गईं। काले रंग की जगह आंसू आ गए।

"ये... ये वैसा ही है, "जैसा मेरी मां बनाती थी"। "मीरा ने कहा। उसकी आवाज अब नरम थी।

राहुल ने देखा कि मीरा का चेहरा बदल रहा था। वो अब डरावनी नहीं दिख रही थी। वो एक आम औरत जैसी दिख रही थी।

मीरा ने पूरा पराठा खाया। फिर अपनी आंखें पोंछीं।

"शुक्रिया," उसने कहा। "तुमने मुझे याद दिलाया कि खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं होता। खाना प्यार होता है।"

जब श्राप टूटा और सच सामने आया

मीरा ने अलमारी की तरफ देखा। वो तीनों डिलीवरी बॉयज़ धीरे-धीरे गायब हो रहे थे। उनकी काली आंखें फिर से सामान्य हो रही थीं।

"जाओ," मीरा ने उन तीनों से कहा। "तुम सब जाओ। मैंने तुम्हें बहुत तकलीफ दी। मुझे माफ कर दो।"

संदीप, विक्रम और अमित धीरे-धीरे होश में आए। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हुआ क्या।

"तुम सब भी जाओ," मीरा ने राहुल से कहा। "मेरा समय आ गया है। मुझे जाना है।"

राहुल ने देखा कि मीरा का शरीर रोशनी में बदल रहा था। वो धीरे-धीरे गायब हो रही थी।

"तुमने मुझे आजाद किया," मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा। "अब मैं अपनी मां के पास जा सकती हूं।"

और फिर वो पूरी तरह गायब हो गई। उसकी जगह बस एक सफेद रोशनी रह गई जो धीरे-धीरे फीकी पड़ती गई।

दीवार में फिर से दरवाजा दिखने लगा। अब वो खुल सकता था।

राहुल ने दरवाजा खोला। बाकी तीनों ने भी उसका पीछा किया। चारों सीढ़ियों से नीचे उतरे और बिल्डिंग से बाहर निकल आए।

बाहर रात के ग्यारह बज रहे थे।

एक महीने बाद - जब सच दुनिया के सामने आया

एक महीने बाद राहुल ज़ोमैटो के ऑफिस में बैठा था। उसके सामने बाकी तीनों डिलीवरी बॉयज़ भी थे।

कंपनी के मैनेजर ने उनसे पूछा, "तो तुम चारों बताना चाहते हो कि 13B में क्या हुआ था?"

राहुल ने पूरी कहानी सुनाई। मीरा के बारे में, उसकी भूख के बारे में, और कैसे घर के खाने ने उसे मुक्ति दिलाई।

मैनेजर ने कुछ नहीं कहा। वो सब मानता था या नहीं, ये पता नहीं चला।

"तो अब उस फ्लैट में कोई नहीं है?" मैनेजर ने पूछा।

"नहीं," राहुल ने जवाब दिया। "मैं दोबारा वहां गया था। तेरहवीं मंजिल अब नहीं है। वो दरवाजा गायब हो गया है। जैसे कभी था ही नहीं।"

मैनेजर ने फाइल बंद कर दी।

"ठीक है। कंपनी ने फैसला किया है कि श्यामा प्रसाद टॉवर में अब कोई डिलीवरी नहीं होगी। और तुम चारों को एक महीने की छुट्टी मिलेगी। वो भी पूरी सैलरी के साथ।"

चारों ने राहत की सांस ली।

बाहर निकलते समय संदीप ने राहुल से कहा, "यार, शुक्रिया। तूने हमें बचाया।"

राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैंने नहीं, मेरी मां के हाथ के पराठों ने बचाया।"

उस रात राहुल घर पहुंचा तो मां ने फिर से उसके लिए खाना बनाया था। आलू के पराठे।

राहुल ने पहला निवाला खाया और मुस्कुरा दिया। उसे समझ आ गया था कि मां के हाथ का खाना सिर्फ खाना नहीं होता। वो प्यार होता है। वो ताकत होती है। वो वो चीज होती है जो किसी को भी बचा सकती है। चाहे वो इंसान हो या आत्मा।

आज भी कुछ लोग कहते हैं

आज भी दिल्ली में कुछ डिलीवरी बॉयज़ श्यामा प्रसाद टॉवर की कहानी सुनाते हैं। कुछ कहते हैं कि ये सच था, कुछ कहते हैं कि सब झूठ।

लेकिन एक बात सच है। उस इमारत में अब 13B का कोई ऑर्डर नहीं आता। कभी नहीं।

और जो डिलीवरी बॉयज़ रात में काम करते हैं, वो हमेशा अपने साथ घर का कुछ खाना रखते हैं। बस यूं ही। सुरक्षा के लिए।

क्योंकि उन्हें पता है कि दुनिया में कुछ चीजें होती हैं जो हम नहीं समझते। कुछ भूख होती है जो सिर्फ प्यार से बने खाने से मिटती है। और कुछ आत्माएं होती हैं जो बस शांति चाहती हैं।

मीरा को अपनी शांति मिल गई। लेकिन दुनिया में कितनी और मीराएं हैं? कितने और 13B हैं? कोई नहीं जानता।

बस इतना जानते हैं कि अगर कभी रात में आपको कोई अजीब ऑर्डर मिले, कोई अजीब पता दिखे, तो दो बार सोचिए। और हां, हमेशा अपने साथ घर का खाना रखिए।

क्योंकि सबसे बड़ी ताकत प्यार में होती है। और प्यार सबसे ज्यादा घर के खाने में होता है।

क्या आपके साथ भी कभी डिलीवरी के दौरान कुछ अजीब हुआ है? क्या आपने भी किसी ऐसी जगह का ऑर्डर लिया है जहां जाने से सब डरते हैं? अगर हां, तो कमेंट में जरूर बताइए। और अगर आप डिलीवरी बॉय हैं, तो रात में सावधान रहिएगा। हर ऑर्डर के पीछे एक कहानी होती है। कुछ कहानियां खुशी की होती हैं, कुछ दुख की। और कुछ ऐसी होती हैं जो सच और कल्पना के बीच में होती हैं।
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आज के सवाल - जवाब 

1. क्या रात में ऑनलाइन फूड डिलीवरी करना खतरनाक होता है?

रात में डिलीवरी के दौरान सन्नाटा और सुनसान जगहें डर का माहौल बना सकती हैं। इसलिए ज़्यादातर कंपनियाँ अब अपने डिलीवरी पार्टनर्स को safe zone tracking और 24x7 helpline support देती हैं।

2. क्या Zomato या Swiggy जैसी ऐप्स कभी भूतिया ऑर्डर्स से जुड़ी घटनाओं पर ध्यान देती हैं?

कंपनियाँ आमतौर पर हर शिकायत को गंभीरता से लेती हैं। अगर कोई पता बार-बार suspicious रिपोर्ट होता है, तो उसे blacklist कर दिया जाता है — जैसे Flat 13B Shyama Prasad Tower को कहानी में दिखाया गया है।

3. क्या दिल्ली में ऐसे और haunted flats या towers हैं?

दिल्ली और NCR में कई ऐसी जगहें हैं जिनके बारे में लोग कहते हैं कि वहाँ अजीब घटनाएँ होती हैं — जैसे Dwarka Sector 9, Mehrauli Forest और Lothian Cemetery 
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