मिडनाइट बस: रात की रहस्यमयी सवारी

 मिडनाइट बस: रात की रहस्यमयी सवारी

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मिडनाइट बस

रात के लगभग साढ़े बारह बजे थे। सड़कों पर उजाला बहुत कम था, और हवा में ठंडक कुछ ज्यादा ही महसूस हो रही थी। मैं अपने छोटे से शहर से निकलकर किसी रिश्तेदार से मिलने के लिए बस स्टैंड पर पहुँचा। वहाँ एक अकेली, पुरानी बस खड़ी थी। उसका रंग फीका था और ऊपर लिखा था – “रात्री एक्सप्रेस”।

मैंने सोचा, “चलो, आज जल्दी पहुँच जाऊँगा।” बस में चढ़ते ही मुझे अजीब सा सन्नाटा महसूस हुआ। अंदर सिर्फ कुछ यात्री बैठे थे। उनमें से कोई बात नहीं कर रहा था, कुछ यात्री अपने मोबाइल में मशगूल थे, जबकि कुछ खिड़की से बाहर निहार रहे थे। ड्राइवर की सीट पर एक बुज़ुर्ग व्यक्ति बैठा था, जिसकी आँखों में अनोखी चमक झलक रही थी। उसने सिर हिलाकर मुस्कुराया, और बस चल पड़ी।

जैसे ही बस शहर से बाहर निकली, सड़क सुनसान हो गई। चारों ओर अंधेरा और दूर-दूर तक पेड़ ही पेड़ थे। अचानक, मैंने देखा कि एक यात्री जो मेरी सीट के पास बैठा था, गायब हो गया। पहले तो मैंने सोचा कि वह शायद बैठने के लिए उठ गया, लेकिन कोई आवाज़ नहीं थी, कोई दरवाजा खुलने की आहट नहीं थी।

बस धीमे-धीमे एक छोटे स्टेशन पर पहुँची। ड्राइवर ने बस रोकी, लेकिन स्टॉप पर कोई यात्री नहीं उतरा। और अजीब बात यह थी कि कोई नया यात्री भी चढ़ा नहीं। बस जैसे खाली होकर और भी सुनसान हो गई।

मैंने हिम्मत करके ड्राइवर से पूछा, “भाईसाहब, ये बस कहाँ जा रही है?”
उसने केवल एक गहरी सांस ली और कहा, “जहाँ जाने की जरूरत है, वहाँ।”

उसकी आवाज़ में ऐसा रहस्य था कि मेरी रूह में हल्की सी सिहरन दौड़ गई।

जैसे-जैसे बस आगे बढ़ती गई, हर स्टेशन पर वही अजीब घटना दोहराई गई। एक-एक करके यात्री गायब होते गए, और अब बस में केवल मैं और ड्राइवर ही रह गए थे। चारों ओर अंधेरा फैला था, और सड़क की रौशन लकीरें जैसे किसी दूसरी दुनिया की ओर खींच रही हों।

मैंने फिर ड्राइवर से पूछा, “ये लोग कहाँ जाते हैं?”
ड्राइवर ने कोई जवाब नहीं दिया। बस की लाइट अचानक झिलमिला उठी। उस झिलमिलाहट में मैं देख सकता था कि पिछली सीटें खाली हो गई थीं, लेकिन उनके पीछे एक हल्का सा धुंधला साया अब भी मौजूद था।

मेरी धड़कन बढ़ गई। मैंने अपने मोबाइल से टाइम देखा, लेकिन स्क्रीन भी अजीब तरह से काम नहीं कर रही थी। मैं डर के मारे सीट पर कसकर बैठ गया।

बस के अगले मोड़ पर, मैंने महसूस किया कि सड़क बदल गई है। अब मैं पहले जैसी सड़क नहीं देख रहा था। चारों ओर एक अजीब तरह का कोहरा था, और पेड़ अपने आप हिल रहे थे। हवा में भी कोई अजीब सी सरसराहट थी। मैंने महसूस किया कि बस अब सिर्फ शहर नहीं, बल्कि किसी और दुनिया की ओर बढ़ रही थी।

तभी पीछे की सीट पर एक हल्की आवाज़ आई – “तुम यहाँ क्यों हो?”
मैंने पलटा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। बस की खिड़कियों से बाहर देखने पर मुझे केवल अंधेरा और कभी-कभी चमकते हुए पेड़ ही दिखाई दे रहे थे।

मैंने हिम्मत करके फिर पूछा, “कहाँ जा रहे हैं हम?”
ड्राइवर ने धीरे से कहा, “रात की बस हमेशा उन्हीं लोगों को ले जाती है, जो अपनी मंज़िल खुद नहीं खोज पाते।”

मैंने धीरे-धीरे समझा कि ये बस केवल उन लोगों की सवारी है, जो किसी रहस्य या अधूरी इच्छा के कारण फँस गए हैं। जो एक बार इस बस में चढ़ जाते हैं, वे वापस नहीं लौटते।

जैसे-जैसे बस आगे बढ़ी, मैंने देखा कि पीछे की सीटों पर कभी-कभी धुंधले चेहरे झलकते हैं। वे लोग जिन्हें मैं पहले देख चुका था, अब बस के कोहरे में कहीं खो गए थे। मेरी साँसें तेज़ हो गईं, लेकिन बस ने मुझे रोकने के लिए रुकावट नहीं दी।

अचानक बस एक पुराने, सुनसान स्टेशन पर रुकी। वहाँ पर एक पुराना बोर्ड था – “अंतिम स्टेशन”। मेरे भीतर डर का भाव चरम पर पहुँच गया। लेकिन मैं समझ गया कि अगर मैं उतरूँगा, तो शायद मैं भी उसी धुंधले अंधेरे में खो जाऊँगा।

मैंने हिम्मत करके ड्राइवर से कहा, “भाईसाहब, मुझे उतरना है। मैं वापस जाना चाहता हूँ।”
ड्राइवर ने केवल सिर हिलाया, और बस ने धीरे-धीरे रुकना शुरू किया।
जैसे ही मैंने कदम बाहर रखा, अजीब सा ठंडक और धुंध ने मुझे घेर लिया। मुझे महसूस हुआ कि मैं कहीं और नहीं, बल्कि बस के रहस्य और उस रात के अंधेरे में खो गया हूँ।

अचानक मेरी आँखें खुलीं, और मैं खुद को अपने शहर की सड़क पर खड़ा पाया। बस कहीं दिखाई नहीं दी। मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था। मैंने देखा कि मेरे पास वही पुरानी टिकट थी, जिस पर लिखा था – “रात्री एक्सप्रेस: यात्रा समाप्त”।

लेकिन उस रात की सिहरन अब भी मेरी रूह में गूँज रही थी। मैं जान गया था कि अगर कोई भी रात्री एक्सप्रेस की बस में चढ़ गया, तो वह कभी पूरी तरह से लौटकर नहीं आता।
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कहानी का निष्कर्ष

“मिडनाइट बस” केवल एक साधारण यात्रा नहीं थी। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कुछ रास्ते ऐसे होते हैं, जहाँ बिना सावधानी और सोच-समझ के कदम रखना खतरनाक हो सकता है। अंधेरे और रहस्यमय परिस्थितियों में हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
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सूचना

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