Goa Hotel Horror Story in Hindi – Room 13 का रहस्य | Real Horror Story

Goa Hotel Horror Story in Hindi – Room 13 का रहस्य | Real Horror Story

Goa Hotel Horror Story Room 13 Rahasya Haunted Hotel in Hindi Real Ghost Story

Goa की इस Real Horror Story in Hindi में जानिए उस Haunted Hotel का रहस्य, जहाँ एक Room 13 था — जिसे अब हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है। कहा जाता है, जो भी उस कमरे में रुका… वो दोबारा कभी बाहर नहीं निकला। क्या ये सिर्फ एक True Horror Story है, या इसके पीछे कोई डरावना सच छिपा है? पढ़िए Goa Hotel Horror Story और जानिए Room 13 का रहस्य 

कहानी की शुरुआत 

राज मुंबई का एक साधारण सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। पिछले तीन साल से वो अपनी कंपनी में दिन-रात मेहनत कर रहा था, लेकिन छुट्टी लेने का मौका ही नहीं मिला। इस बार उसने ठान ली थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, वो गोवा जाएगा और कम से कम पाँच दिन बीच पर आराम करेगा।

समस्या सिर्फ एक थी - पैसे। महीने के आखिरी दिन थे और तनख्वाह आने में अभी दस दिन बाकी थे। राज के खाते में बस दस हजार रुपये बचे थे। गोवा में रहने-खाने का खर्चा निकालना मुश्किल था, खासकर तब, जब होटल के कमरे एक रात के पाँच से आठ हजार तक मांग रहे थे।

देर रात तक राज अपने फोन पर होटल बुकिंग ऐप्स (Hotel Booking Apps) खंगालता रहा। मेकमायट्रिप, बुकिंग डॉट कॉम, ओयो - हर जगह एक ही कहानी थी। सस्ते होटल या तो घटिया थे, या फिर बीच से बहुत दूर। और अच्छे होटल महंगे थे।

तभी उसकी नजर एक नए ऐप पर पड़ी - "मिडनाइट डील्स"। ऐप का टैगलाइन था - "रात को बुक करो, आधी कीमत पाओ।" राज ने सोचा, कुछ नुकसान तो नहीं, देखते हैं क्या है इसमें।

आधी रात की अजीब डील

ऐप खोलते ही राज की आँखें फटी की फटी रह गईं। स्क्रीन पर एक शानदार पाँच सितारा होटल की तस्वीर थी - "द ओशन व्यू पैलेस, गोवा।" होटल की असली कीमत बारह हजार प्रति रात थी, लेकिन ऐप पर सिर्फ नौ सौ रुपये में दिखाई दे रहा था।

राज ने सोचा यह जरूर कोई गलती है या फिर धोखाधड़ी। उसने होटल की तस्वीरें देखीं - समुद्र के किनारे बना भव्य होटल, स्विमिंग पूल, रेस्टोरेंट, सब कुछ एकदम शानदार। रिव्यू सेक्शन खाली था, जो थोड़ा अजीब था, लेकिन राज ने सोचा शायद नया ऐप है इसलिए अभी रिव्यू नहीं आए होंगे।

उसने डील पर क्लिक किया। एक पॉपअप आया - "यह विशेष ऑफर केवल कमरा नंबर 13 के लिए उपलब्ध है। क्या आप बुकिंग जारी रखना चाहते हैं?"

राज ने हंसते हुए सोचा, भाई ये तो और भी अच्छा है। 13 नंबर से कौन डरता है? ये सब अंधविश्वास है। उसने तुरंत "हाँ" पर क्लिक किया और पेमेंट कर दिया।

बुकिंग कन्फर्म होते ही उसके फोन पर एक मैसेज आया - "बधाई हो! आपकी बुकिंग पक्की हो गई है। द ओशन व्यू पैलेस में आपका स्वागत है। कमरा नंबर 13 आपका इंतजार कर रहा है।"

राज खुशी से झूम उठा। पाँच सितारा होटल में पाँच रातों की बुकिंग सिर्फ साढ़े चार हजार में! यह तो सपने जैसा सौदा था।

पहली रात: होटल पहुंचना

Goa Hotel Horror Story in Hindi Room 13 ka Rahasya, Real Horror Story ka Shuruati Bhaag aur Pahli Raat ka Vivaran

तीन दिन बाद राज गोवा पहुंचा। टैक्सी ने उसे होटल के मुख्य गेट पर उतार दिया। सामने का नजारा देखकर राज की सांस रुक गई। होटल वाकई में बेहद खूबसूरत था, लेकिन उसे थोड़ा-थोड़ा कुछ अजीब भी लग रहा था।

बड़ी-बड़ी इमारत, लेकिन चारों तरफ सन्नाटा। पार्किंग में सिर्फ दो-तीन गाड़ियां। रिसेप्शन की तरफ बढ़ते हुए राज ने देखा कि होटल का रखरखाव तो अच्छा था, लेकिन मेहमान बहुत कम थे।

रिसेप्शन पर एक बुजुर्ग आदमी बैठा था। उसके चेहरे पर अजीब सी गंभीरता थी। राज ने अपना नाम बताया।

"राज वर्मा। मैंने कमरा नंबर 13 बुक किया है।"

बुजुर्ग की आँखों में एक पल के लिए डर की झलक दिखी। उसने धीमी आवाज में पूछा, "बेटा, क्या तुम पक्का कमरा नंबर 13 में ही रुकना चाहते हो? मैं तुम्हें दूसरा कमरा दे सकता हूँ।"

राज ने हंसते हुए कहा, "अरे काका, मैंने तो पहले ही पेमेंट कर दिया है। और वैसे भी मुझे इन चीजों पर विश्वास नहीं। 13 नंबर तो बस एक नंबर है।"

बुजुर्ग ने गहरी सांस ली और कमरे की चाबी राज की तरफ बढ़ा दी। "जैसी तुम्हारी मर्जी, बेटा। लेकिन याद रखना - अगर रात को कुछ भी अजीब लगे, तो तुरंत रिसेप्शन पर फोन कर देना। और हाँ, एक बात और... रात को बारह बजे के बाद कमरे से बाहर मत निकलना, चाहे कुछ भी हो जाए।"

राज ने उसकी बात को हंसी में उड़ा दिया और लिफ्ट की तरफ बढ़ गया।

कमरे में पहला कदम

तीसरी मंजिल पर लिफ्ट रुकी। लंबे गलियारे में सिर्फ तीन कमरे थे - 11, 12 और 13। राज ने देखा कि कमरा नंबर 13 गलियारे के आखिरी छोर पर था, बिल्कुल अकेला।

चाबी लगाते ही दरवाजा खुल गया। कमरे में घुसते ही राज को हल्की ठंडक महसूस हुई, हालांकि एसी तो बंद था। कमरा बड़ा और शानदार था - किंग साइज बेड, बालकनी से समुद्र का नजारा, बड़ा बाथरूम। सब कुछ परफेक्ट था।

राज ने अपना सामान रखा और फ्रेश होने चला गया। नहाकर जब बाहर आया तो उसने देखा कि दीवार पर लगे शीशे में भाप जमी हुई थी, हालांकि उसने गर्म पानी नहीं चलाया था। शीशे को साफ करते हुए उसने देखा कि भाप में कुछ लिखा हुआ था - "भाग जा यहाँ से"।

राज के रोंगटे खड़े हो गए। उसने झटके से पीछे मुड़कर देखा, लेकिन कमरे में कोई नहीं था। उसने शीशे को फिर से देखा - अब वहाँ कुछ नहीं था। राज ने सोचा शायद उसका वहम था ।

पहली रात का डरावना सच

राज बीच घूमकर थका-हारा रात नौ बजे होटल लौटा। उसने रूम सर्विस से खाना मंगवाया। खाना लेकर जो वेटर आया, वो भी बुजुर्ग था और उसकी निगाहें कमरे के हर कोने को ऐसे घूर रही थीं जैसे कुछ ढूंढ रहा हो।

"साहब, खाना यहीं रख दूं?" वेटर ने डरी हुई आवाज में पूछा।

"हाँ, टेबल पर रख दो।" राज ने कहा।

वेटर ने जल्दी-जल्दी खाना रखा और निकलने लगा। दरवाजे पर रुककर उसने पीछे मुड़कर देखा, "साहब, एक सलाह दूं? आज रात बारह बजे के बाद जागना मत। सो जाना, चाहे कुछ भी आवाज सुनो।"

इतना कहकर वो चला गया।

राज को अब थोड़ी घबराहट होने लगी थी, लेकिन उसने अपने मन को समझाया कि ये सब होटल वाले मजाक कर रहे हैं या फिर टूरिस्टों को डराने के लिए ऐसा करते हैं।

खाना खाकर राज ने टीवी चालू किया और कोई फिल्म लगा ली। रात के ग्यारह बज चुके थे। फिल्म देखते-देखते उसकी आँख लगने लगी।

ठीक बारह बजे टीवी अपने आप बंद हो गया।

राज की नींद खुल गई। उसने रिमोट उठाकर फिर से टीवी चालू करने की कोशिश की, लेकिन टीवी नहीं चला। उसने सोचा शायद बिजली गई है, लेकिन कमरे की सारी लाइटें तो जल रही थीं।

तभी बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आई।

टप... टप... टप...

राज ने सोचा शायद नल खुला रह गया है। वो उठकर बाथरूम की तरफ बढ़ा। दरवाजा खोलते ही उसके होश उड़ गए।

बाथरूम के शीशे पर खून से लिखा था - "तू 54वां है"।

राज के हाथ-पैर काँपने लगे। उसने चारों तरफ देखा, लेकिन कोई नहीं था। नल बंद था, फिर भी पानी की आवाज आ रही थी।

उसने तुरंत बाथरूम का दरवाजा बंद किया और रिसेप्शन पर फोन लगाने के लिए दौड़ा। लेकिन कमरे का फोन मुर्दा पड़ा था। उसने अपना मोबाइल निकाला - नेटवर्क नहीं आ रहा था।

घबराहट में राज ने कमरे का दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा अंदर से बंद हो चुका था। चाबी घुमाने पर भी खुल नहीं रहा था।

तभी कमरे की सारी लाइटें एक साथ बुझ गईं।

आधी रात का रहस्य

Aadhi Raat ka Rahasya: Room 13 ki Diary, Arvind Sharma Serial Killer, 54 Victims Ghost Story in Hindi

अंधेरे में राज की सांसें तेज हो गई थीं। उसने मोबाइल की टॉर्च चालू की। टॉर्च की रोशनी में उसने देखा कि कमरे के बीचोंबीच, जहाँ पहले कुछ नहीं था, वहाँ एक पुराना लकड़ी का संदूक रखा था।

राज की समझ में नहीं आ रहा था कि ये संदूक कहाँ से आया। धीरे-धीरे वो संदूक के पास गया। संदूक पर मोटी परत में धूल जमी थी, जैसे सालों से किसी ने छुआ ही नहीं।

डर के बावजूद राज के मन में जिज्ञासा जाग उठी। उसने संदूक का ढक्कन खोला।

अंदर पुराने अखबार, कुछ तस्वीरें और एक डायरी पड़ी थी। राज ने काँपते हाथों से डायरी निकाली और पहला पन्ना खोला।

डायरी में लिखा था - "मेरा नाम विक्रम मल्होत्रा है। अगर तुम यह डायरी पढ़ रहे हो, तो इसका मतलब तुम भी इस कमरे में फंस चुके हो। मैं तुम्हें चेतावनी देना चाहता था, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है।"

राज का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने अगला पन्ना पलटा।

"यह कमरा नंबर 13 असल में एक कब्र है। 1985 में इस कमरे में एक सीरियल किलर रुका था, जिसका नाम था अरविंद शर्मा। उसने इस होटल में 53 मेहमानों को मारा था। सभी को इसी कमरे में बुलाया, और फिर... उनके शरीर के टुकड़े इस कमरे की दीवारों में छुपा दिए।"

राज के हाथ से डायरी छूटते-छूटते बची। उसने आसपास देखा - कमरे की दीवारें अचानक पास आती हुई लग रही थीं।

डायरी में आगे लिखा था - "पुलिस ने अरविंद को पकड़ लिया, लेकिन कोर्ट ले जाते समय वो इसी होटल के सामने से गुजर रहा था। उसने चिल्लाकर कहा था - 'मैं वापस आऊंगा। कमरा नंबर 13 मेरा है, और मैं 100 लोगों को मारकर ही रुकूंगा।' उसी रात उसे जेल में मरा हुआ पाया गया।"

"तब से लेकर आज तक, हर साल कोई न कोई इस कमरे में रुकता है। होटल वाले सस्ते दामों में ये कमरा देते हैं क्योंकि कोई यहाँ रुकना नहीं चाहता। जो भी यहाँ रुकता है, वो गायब हो जाता है। मैं 54वां शिकार हूँ। और शायद अब तुम..."

राज की रीढ़ में सिहरन दौड़ गई। अचानक उसे समझ आया - बाथरूम के शीशे पर लिखा था "तू 54वां है", लेकिन डायरी लिखने वाला विक्रम खुद को 54वां बता रहा था। इसका मतलब...

तभी उसके पीछे से एक भारी आवाज गूंजी - "तुम 55वें हो।"

दीवारों का राज

राज ने झटके से पीछे मुड़कर देखा। अंधेरे में एक परछाई खड़ी थी। धीरे-धीरे वो परछाई पास आने लगी। मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में राज ने देखा - एक आदमी, लेकिन उसका चेहरा... चेहरा जैसे पिघल रहा था, आँखें लाल, और मुंह से काला खून टपक रहा था।

"अरविंद..." राज के मुंह से बस इतना ही निकला।

"हाँ, मैं अरविंद हूँ। और तुम्हारा इंतजार कर रहा था।" अरविंद की आवाज ऐसी थी जैसे कई आवाजें एक साथ बोल रही हों।

राज पीछे हटने लगा, लेकिन अचानक उसके पैर किसी चीज से टकराए। उसने नीचे देखा - फर्श फटने लगी थी और अंदर से हाथ बाहर निकल रहे थे। सड़े हुए, काले हाथ।

"ये सब मेरे शिकार हैं। 54 लोग जो अब इस कमरे की नींव हैं।" अरविंद हंसने लगा। उसकी हंसी कमरे में गूंजने लगी।

राज ने हिम्मत जुटाई और चिल्लाया, "मुझे यहाँ से जाने दो! मैं किसी का बुरा नहीं चाहता!"

"जाने दूं?" अरविंद ने मजाक उड़ाते हुए कहा। "जैसे मुझे जाने दिया था? जेल में मरते समय मैंने कसम खाई थी कि मैं 100 जिंदगियां लूंगा। अभी 45 और बाकी हैं।"

दीवारों से अजीब आवाजें आने लगीं। खुरचने की आवाज, चीखने की आवाज। राज ने दीवारों को ध्यान से देखा तो उसके होश उड़ गए। दीवारों से चेहरे उभर रहे थे। दर्जनों चेहरे, सभी दर्द में चीख रहे थे, लेकिन आवाज नहीं निकल पा रही थी।

"मदद करो... हमें बचाओ..." एक धीमी सी आवाज राज के कानों में गूंजी।

बचने का आखिरी रास्ता

राज की निगाह फिर से उस संदूक पर गई। अरविंद धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ रहा था। राज ने तुरंत संदूक में हाथ डाला और बाकी चीजें निकाल फेंकीं। सबसे नीचे एक पुराना चाकू पड़ा था, जिस पर जंग लगी थी।

"ये चाकू..." अरविंद की आवाज में पहली बार डर झलका। "ये कहाँ से मिला तुझे?"

राज ने चाकू उठा लिया। अचानक उसे महसूस हुआ जैसे चाकू में कोई ताकत है। चाकू गर्म होने लगा।

संदूक में एक और कागज पड़ा था। राज ने उसे उठाया और पढ़ा - "यह चाकू वही है जिससे अरविंद ने अपने शिकारों को मारा था। अगर इस चाकू को अरविंद की आत्मा के दिल में उतारा जाए, तो वो हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगा। लेकिन इसके लिए तुम्हें पहले सभी 54 आत्माओं को मुक्त करना होगा।"

राज ने दीवारों की तरफ देखा। सभी चेहरे उसकी तरफ देख रहे थे, उम्मीद भरी निगाहों से।

"तुम्हें क्या चाहिए? कैसे मुक्त होंगे तुम लोग?" राज ने पूछा।

एक बुजुर्ग आत्मा ने कहा, "हमारे शरीर इन दीवारों में हैं। अगर तुम इन दीवारों को तोड़ दो, तो हम मुक्त हो जाएंगे।"

अरविंद गुस्से से दहाड़ा, "तुम ऐसा नहीं कर सकते! ये मेरा कमरा है! मेरी कब्र है!"

राज ने चारों तरफ देखा। कमरे में एक हथौड़ा पड़ा था, शायद किसी मरम्मत के लिए। उसने हथौड़ा उठाया और पूरी ताकत से दीवार पर मारा।

दीवार में दरार पड़ी। अंदर से एक तेज रोशनी निकली। और फिर... एक-एक करके आत्माएं बाहर निकलने लगीं। 54 आत्माएं, सभी आजाद होने की खुशी में चमक रही थीं।

अरविंद चीखा, "नहीं! ये नहीं हो सकता!"

लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। सभी 54 आत्माओं ने मिलकर अरविंद को घेर लिया। एक-एक करके वो अरविंद के शरीर में समाने लगीं। अरविंद की चीखें कमरे में गूंजने लगीं।

राज ने मौका देखा और पूरी ताकत से वो जंग खाया चाकू अरविंद के सीने में घुसेड़ दिया।

एक तेज धमाके की आवाज हुई। तेज रोशनी। और फिर... सन्नाटा।

सुबह का सच

राज की आँख खुली तो सुबह हो चुकी थी। वो फर्श पर पड़ा था। कमरा बिल्कुल साफ था, कोई संदूक नहीं, कोई खून नहीं। दीवारें भी बिल्कुल ठीक थीं।

उसने सोचा शायद सब सपना था। लेकिन फिर उसने अपने हाथ देखे - उन पर खून के धब्बे थे। और जेब में वो पुराना चाकू पड़ा था।

राज तुरंत उठा और कमरे से बाहर निकल गया। रिसेप्शन पर वही बुजुर्ग बैठा था। राज को देखते ही उसकी आँखों में आँसू आ गए।

"तुम... तुम बच गए? 30 सालों में तुम पहले इंसान हो जो इस कमरे से जिंदा बाहर आया है।" बुजुर्ग ने कहा।

राज ने पूरी रात की कहानी सुनाई। बुजुर्ग ने बताया कि वो इस होटल का असली मालिक है, और पिछले 30 सालों से वो अपने गुनाह की सजा काट रहा था। 1985 में अरविंद यहाँ ठहरा था, और उसी ने उसे ये कमरा दिया था।

"मैंने सोचा था कि बस कुछ दिन के लिए है। लेकिन फिर हत्याएं होने लगीं। मैं डर गया था। पुलिस को बताने से पहले ही अरविंद मर गया। लेकिन उसकी आत्मा यहीं रह गई। मैं इस होटल को बंद नहीं कर सका क्योंकि कर्ज में डूबा था। तो हर साल किसी एक मेहमान को कमरा नंबर 13 में भेजता था, उम्मीद में कि कोई अरविंद को हरा देगा। तुमने वो कर दिखाया जो 54 लोग नहीं कर पाए।"

राज को गुस्सा आया, लेकिन अब क्या फायदा था। वो बस वहाँ से निकलना चाहता था।

"एक मिनट रुको," बुजुर्ग ने कहा। उसने अपने दराज से एक पुराना रजिस्टर निकाला। "ये देखो।"

रजिस्टर में 54 नाम लिखे थे। सभी वो लोग जो कमरा नंबर 13 में रुके थे और फिर गायब हो गए। आखिरी नाम था - विक्रम मल्होत्रा, तारीख - 15 जनवरी 2024।

बुजुर्ग ने एक कलम उठाई और राज के नाम के आगे लिखा - "जिंदा बचा - 11 नवंबर 2025।"

निष्कर्ष और सीख

राज उसी दिन मुंबई वापस लौट आया। उसने वो चाकू समुद्र में फेंक दिया। लेकिन उस रात की यादें कभी नहीं भुला।
आज जब भी कोई उससे पूछता है कि गोवा ट्रिप कैसी रही, तो वो बस मुस्कुरा देता है और कहता है, "कुछ चीजें सस्ती होती हैं, लेकिन उनकी कीमत बहुत भारी पड़ सकती है।"

कई महीनों बाद उसने खबर सुनी — “द ओशन व्यू पैलेस” होटल हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है।
लोग कहते हैं, कमरा नंबर 13 को ईंटों से पूरी तरह बंद कर दिया गया है।

राज आज भी जब किसी होटल में “रूम नंबर 13” देखता है, तो मुस्कुरा कर अगले कमरे का नंबर चुन लेता है।
क्योंकि अब उसे पता है — हर सस्ती डील की अपनी एक कीमत होती है… और कभी-कभी वो कीमत जान से भी बड़ी होती है।

सुझाव 

हमेशा होटल बुक करने से पहले रिव्यू और लोकेशन चेक कर लें — और अगर कोई ‘बहुत ही सस्ती’ डील दिखे तो थोड़ा सतर्क हो जाएँ। (मैं अक्सर रिव्यू पढ़कर ही होटल में रूम बुक करता हूँ)।

आज के सवाल-जवाब

1. क्या आप कभी ऐसे होटल में रुके हैं जहाँ कुछ अजीब” महसूस हुआ हो? 👀
अगर हाँ — तो कमेंट में बताइए कि वो अनुभव कैसा था?

2. क्या आप भी ऑनलाइन होटल बुक करते हैं? या अब भी सीधे जाकर कमरे देखते हैं? 
मैं तो ज़्यादातर Booking.com पर पहले रिव्यू चेक कर लेता हूँ 

3. आपको क्या लगता है — क्या वाकई कुछ जगहों पर पुराने रहस्य अब भी जिन्दा होते हैं?
या ये सब बस कहानियों में होता है?
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