एक अधूरा सफर – अधूरे प्यार और इंतज़ार की दिल छू लेने वाली प्रेम कहानी

एक अधूरा सफर – अधूरे प्यार और इंतज़ार की दिल छू लेने वाली प्रेम कहानी

एक अधूरा सफर – दिल को छू लेने वाली भावुक प्रेम कहानी | Emotional Love Story in Hindi | अधूरा प्यार और इंतज़ार की हिंदी कहानी

कभी-कभी ज़िंदगी का सबसे लंबा सफर वही होता है — जो कभी पूरा नहीं हो पाता।
“एक अधूरा सफर” एक emotional love story in Hindi है जो अधूरे प्यार, इंतज़ार और वादों की गहराई को छूती है।
इस sad love story in Hindi में एक बूढ़े आदमी का तीन दशक पुराना true love story का वादा फिर से ज़िंदा होता है — जब वो एक पुराने ट्रेन टिकट के साथ निकलता है उस सफर पर, जो उसके दिल में अधूरा रह गया था।
क्या तीस साल बाद भी कोई उसका इंतज़ार कर रहा होगा?
जानिए इस दिल छू लेने वाली कहानी में — जहाँ प्यार, बिछड़ना और यादें एक साथ चलते हैं एक emotional journey पर…

🌅 शुरुआत – एक पुराना टिकट और अधूरी यादें

सर्दियों की सुबह थी। प्लेटफॉर्म पर हल्की धुंध फैली हुई थी।
ट्रेन की सीटी बजी, और भीड़ धीरे-धीरे अपनी जगह तलाशने लगी।
इसी भीड़ के बीच एक बूढ़ा आदमी, सफेद दाढ़ी, भूरे कोट में, हाथ में एक पुराना कागज़ थामे खड़ा था — वो कागज़ एक तीस साल पुराना ट्रेन का टिकट था।

उसका नाम था रामेश्वर बाबू।
आज वो दिल्ली से बनारस जा रही ट्रेन में सवार होने वाला था।
लेकिन ये कोई आम सफर नहीं था, ये एक अधूरे वादे को पूरा करने का सफर था।

तीस साल पहले, उसी दिन, उसी तारीख़ को
वो इसी ट्रेन से बनारस जाने वाला था —
अपनी प्रेमिका सीमा से मिलने।
सीमा, जो उससे वादा करके गई थी — “अगर तुम आए, तो मैं ज़रूर इंतज़ार करूँगी।”

लेकिन उस दिन वो नहीं जा सका…
क्योंकि रास्ते में एक भयानक हादसा हुआ था।
उसके पिता की तबीयत बिगड़ गई थी, और वह अपने प्यार को अधूरा छोड़कर लौट आया था।
वो दिन, वो टिकट, और वो वादा — तीनों उसके दिल में गहरे तरीके से उतर गए थे।

आज, तीस साल बाद, वह उसी स्टेशन की ओर जा रहा था,
देखने कि क्या कोई अब भी इंतज़ार कर रहा है...
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🛤️ मंझधार – रास्ते में यादों का सैलाब

ट्रेन धीरे-धीरे चल पड़ी।
रामेश्वर खिड़की के पास बैठा बाहर के खेतों, धुंध और स्टेशन बोर्ड्स को देखता रहा।
हर गुजरता स्टेशन उसे अतीत की गलियों में ले जा रहा था।

उसे याद आया —
कैसे सीमा लाल दुपट्टा ओढ़े उस पुराने पीपल के पेड़ के नीचे उसका इंतज़ार करती थी।
कैसे वो दोनों स्टेशन की चाय की दुकान पर बैठकर सपनों की बातें करते थे।
कैसे उसने वादा किया था —
“मैं बनारस वाले घाट पर तेरे आने का इंतज़ार करूँगी, जब तक तू न आ जाए।”

पर ज़िंदगी ने उसे कहीं और फेंक दिया।
पिता की मृत्यु के बाद ज़िम्मेदारियाँ आ गईं।
वो शहर, वो लड़की, वो वादा — सब कहीं पीछे छूट गया।
लेकिन दिल में कुछ कभी मरा नहीं… बस सो गया था।

आज जब उसने पुराने ट्रंक में वो टिकट देखा,
दिल के भीतर से आवाज़ आई — “अब वक्त है सफर पूरा करने का।”
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🌉 रास्ते में मुलाकात – एक अनजानी लड़की

ट्रेन कुछ दूर चली थी, तभी उसकी बगल में बैठी एक लड़की बोली —
“दादाजी, आप कहीं जा रहे हैं क्या?”

रामेश्वर मुस्कराए, “हाँ बिटिया, एक पुराने स्टेशन पर।”

“वहाँ कोई रहता है?” लड़की ने पूछा।

रामेश्वर ने धीमी आवाज़ में कहा,
“कभी कोई रहती थी…”

लड़की ने महसूस किया कि इस जवाब में एक गहरी कहानी छिपी है।
उसने हिम्मत करके पूछा,
“कभी... मतलब बहुत साल पहले?”

रामेश्वर ने कहा, “तीस साल पहले। उस वक़्त मैं भी जवान था, सपने बहुत थे, और एक लड़की थी — सीमा।”

लड़की अब ध्यान से सुन रही थी।
रामेश्वर ने पूरी कहानी बताई — कैसे वो नहीं जा सका, कैसे उसने वो टिकट संभाल कर रखा।

लड़की की आँखों में नमी आ गई।
वो बोली, “शायद वो आज भी आपका इंतज़ार कर रही हो।”
रामेश्वर हँसे — “इंतज़ार भी तो उम्र देख कर नहीं करता बिटिया, बस दिल देख कर करता है।”
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🌆 बनारस स्टेशन – अधूरा वादा फिर से जीवित

बूढ़ा आदमी बनारस स्टेशन पर पुराना टिकट हाथ में लिए ट्रेन का इंतज़ार करता हुआ – अधूरा प्यार और इंतज़ार की भावनात्मक हिंदी कहानी दृश्य"


शाम ढलने लगी थी।
ट्रेन बनारस स्टेशन पर पहुँची।
रामेश्वर ने धीरे-धीरे अपना बैग उठाया,
और वह पुराना टिकट जेब में रखा — जैसे कोई अमूल्य याद।

प्लेटफॉर्म पर कदम रखते ही उसके कानों में घंटियों की आवाज़ गूँजने लगी।
भीड़ के बीच एक अलग सा सन्नाटा था उसके लिए।
वो स्टेशन के उस कोने की तरफ बढ़ा जहाँ पहले एक छोटी चाय की दुकान हुआ करती थी।

अब वहाँ एक नया ढाबा बन गया था।
उसने दुकानदार से पूछा —
“बेटा, यहाँ पहले कोई ‘लालू चायवाला’ था?”
दुकानदार ने कहा — “हाँ बाबा, सुना है पहले यहाँ एक बूढ़ी औरत बैठती थी, सब उसे ‘सीमा अम्मा’ कहते थे। हर शाम यहाँ आती थी, किसी का इंतज़ार करती थी।”

रामेश्वर का दिल धड़क उठा —
“कहाँ है वो अब?”

दुकानदार बोला — “पिछले साल गुज़र गईं, लेकिन आखिरी सांस तक यही कहती रहीं कि ‘वो ज़रूर आएगा, एक दिन।’”
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💔 अंतिम पड़ाव – अधूरा सफर पूरा हुआ

रामेश्वर कुछ पल तक चुप खड़ा रहा।
आँखों से आँसू टपकने लगे।
उसने आसमान की ओर देखा और बुदबुदाया —
“सीमा... मैं आ गया।”

उसने जेब से वो पुराना टिकट निकाला,
और धीरे से स्टेशन के उसी कोने में रख दिया।
फिर कहा —
“अब सफर पूरा हुआ।”

हवा चली, और टिकट के कोने हिलने लगे,
जैसे कोई मुस्कुराकर कह रहा हो — “मुझे पता था, तुम आओगे।”

रामेश्वर ने आसमान की ओर देखा,
और पहली बार तीस सालों बाद उसके चेहरे पर सुकून था।
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🌙 कहानी का संदेश – अधूरा सफर भी कभी-कभी मुकम्मल होता है

कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ सफर पूरे नहीं होते,
लेकिन उनकी यादें हमें ज़िंदा रखती हैं।
हर इंसान के दिल में कोई न कोई अधूरा सफर होता है —
कभी प्यार का, कभी दोस्ती का, कभी किसी अपने के इंतज़ार का।

रामेश्वर और सीमा की तरह,
अगर आप भी किसी अधूरे रिश्ते या अधूरे वादे को दिल में लिए चल रहे हैं,
तो एक बार उस सफर को पूरा करने की कोशिश कीजिए।
शायद आपको भी सुकून मिल जाए…
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❤️ निष्कर्ष

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आपका एक शेयर किसी और के दिल में दबे हुए अधूरे वादे को पूरा करने की हिम्मत दे सकता है।

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क्या आपने भी कभी कोई अधूरा सफर जिया है?
या किसी का इंतज़ार अब भी करते हैं?


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